देवली:-(बृजेश भारद्वाज)। त्योहारी सीजन आते ही कुछ लालची व्यापारियों द्वारा अधिक मुनाफाखोरी के लालच में मिस्ठान व अन्य खाद्य पदार्थो में मिलावट कर लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने का सिलसिला शुरू कर दिया जाता है।
ऐसे व्यापारियों को किसी की जिंदगी से कोई सरोकार नही होता उनको चिंता है तो सिर्फ अपने मुनाफे की जबकि नतीजा आमजनता को भुगतना पड़ता है। हालांकि जागरूक खाद्य विभाग के अधिकारी इन दिनों बड़े जोरो शोरों से शहर के कई प्रतिष्ठानों पर कार्यवाही कर जांच के लिए सेम्पल इखट्टा करते है।
पर मज़े की बात ये है कि दीवाली पर लिए गए सेम्पल की रिपोर्ट आगामी कई महीनों बाद आती है जबकि माल की सप्लाई तो त्योहारी दिनों के दौरान हो चुकी होती है ऐसे में उस रिपोर्ट का आमजन को क्या लाभ पहुँच सकता है।वहीं त्योंहार के बाद सिलसिला शुरू होता है व्यापारियों द्वारा अपने सेम्पल पास कराने के जुगाड़ करने का।दफ्तरों के चक्कर काटकर परेशान होने पर एक ही विकल्प सामने होता है
अधिकारियों से सेटिंग कर अपना सेंपल पास करवा के शुद्धता का सर्टीफिकेट प्राप्त करना। आज के दौर में कागजी तौर पर कितने सेम्पल शुद्धता की कसौटी पर खरे उतरते है इससे तो सभी वाकिफ है मगर सच्चाई इससे परे है।क्योकि लक्ष्मी सर्वोपरि है।
असलियत फाइलों में दबकर अपना दम तोड़ देती है ओर कागजी सच्चाई बेधड़क भरे बाजार अपना सीना चौड़ा करके चलती है।हर बार की बस यही कहानी है जो बरसो से ऐसे ही चली आ रही है।आज देवली शहर के ही नही बल्कि पूरे जिले के ऐसे ही हालात है मिलावट का जहर गंभीर जानलेवा बीमारियों का कारण बन रहा है।
देखकर भी अनदेखा करने की ये कला खाद्य अधिकारियों में काफी बरसो से निरंतर देखी जा रही है। जिन पर नकेल कसना असंभव सा लग रहा है। शहर में ऐसे कई लालची व्यापारी हैं जिनके प्रति वर्ष सैंपल भरे जाते हैं किंतु लैब में जाने पर चमत्कार होता है। गुणवत्ता की दृष्टि से हमेशा वह खरे उतरते हैं जबकि सच्चाई को व्यापारी भी जानते हैं और अधिकारी भी समझते हैं।
लेकिन असलियत कागजो से कभी जनता के सामने नहीं आ पाती है।ऐसे में सरकार इस बार मिलावट के जहर से आमजन को राहत पहुचाने के लिए कितने कठोर कदम उठाती है ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा।