देवली :-(बृजेश भारद्वाज)। शहर के अटल उद्यान स्थित टीन शेड प्लेटफार्म पर चल रही संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह का समापन पूर्णाहुति के साथ हुआ। विहिप के प्रखंड अध्यक्ष कृष्ण गोपाल शर्मा व पतंजलि के जिलाध्यक्ष अशोक दूबे के सानिध्य में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन कथावाचक प्रिया किशोरी जी ने सुदामा चरित्र और परीक्षित मोक्ष आदि प्रसंगों का सुंदर वर्णन किया।
सुदामा जी गरीबी के बावजूद भी भगवत भक्ति का ध्यान करते हुए भिक्षा मांगकर अपने परिवार का पालन पोषण करते। अपनी पत्नी सुशीला के बार बार आग्रह करने पर सुदामा द्वारका पहुंचते हैं और जब द्वारपाल भगवान कृष्ण को बताते हैं कि सुदामा नाम का ब्राम्हण आया है। कृष्ण यह सुनकर नंगे पैर दौङकर आते हैं और अपने मित्र को गले से लगा लेते हैं।
सुदामा की दीन दशा देखकर कृष्ण के आंखों से अश्रुओं की धारा प्रवाहित होने लगती है। सिंघासन पर बैठाकर कृष्ण जी सुदामा के चरण धोते हैं। सभी पटरानियां सुदामा जी से आशीर्वाद लेती हैं। सुदामा जी विदा लेकर अपने स्थान लौटते हैं तो भगवान कृष्ण की कृपा से अपने यहां महल बना पाते हैं लेकिन सुदामा जी अपनी फूंस की बनी कुटिया में रहकर भगवान का सुमिरन करते हैं।
अगले प्रसंग में शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को सात दिन तक श्रीमद्भागवत कथा सुनाई जिससे उनके मन से मृत्यु का भय निकल गया। तक्षक नाग आता है और राजा परीक्षित को डस लेता है। राजा परीक्षित कथा श्रवण करने के कारण भगवान के परमधाम को पहुंचते है। इसी के साथ कथा का विराम हो गया।
तत्पश्चात सातों दिनों के यजमानों का व्यास पीठ से सम्मान किया गया तथा हवन कुंड में यजमानों ने आहुतियां दी। इसी के साथ कथा स्थल पर भण्डारे का आयोजन किया गया, जिसमें कथावाचक मण्डल के साथ ही सभी कथा श्रवण करने वाले श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।