देवली:-(बृजेश भारद्वाज)। हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्योहार आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा का त्योहार गुरु और शिष्य के पवित्र संबंध का प्रतिबिंब होता है। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा और वेद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। खैर, गुरु पूर्णिमा त्योहार की तारीख को लेकर बहुत से लोगों के मन में भ्रम फैला हुआ है कि आखिर किस तारीख को यह त्योहार मनाया जाएगा। बता दें कि ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई को मनाई जाएगी। अब अगर बात की जाए 20 जुलाई की तो इस दिन आषाढ़ मास की चतुर्दशी है। गुरु पूर्णिमा के तारीख को लेकर फैले भ्रम के बारे में विस्तार से जानते हैं। भगवान गुरु कृपा संस्थान देवली के संस्थापक पंडित मुकेश गौतम ने जानकारी देते हुए बताया कि कई लोगो के मन मे इस बार गुरु पूर्णिमा की तारीख को लेकर भ्रम बना हुआ है दरअसल, आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 20 जुलाई शाम से होगी, वहीं 21 जुलाई को दोपहर 3 बजकर 46 मिनट पर इसका समापन होगा। यही वजह है कि गुरु पूर्णिमा के लिए 20 या 21 जुलाई को लेकर भ्रम फैला हुआ है। ऐसे में 21 जुलाई को ही गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी।
गुरु पूर्णिमा पूजा विधि…..
गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कार्यों से मुक्त हो जाएं, इसके बाद स्नान करें। इस दिन भगवान वेद व्यास और अपने गुरु की मूर्ति स्थापित करके इनकी विधि विधान से पूजा करें। इस दौरान उन्हें फूल, फल और मिठाईयों का भोग लगाएं। इसके बाद में अपने गुरु मंत्रों का जाप करें। इस दौरान गुरु चालीसा का पाठ भी करें। इन सब के बाद जरूरतमंद को दान करना न भूलें।
गुरु पूर्णिमा का महत्व…..
गुरु पूर्णिमा का मुख्य उद्देश्य गुरुओं का सम्मान करना और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना है। गुरु हमें ज्ञान का मार्ग दिखाते हैं और जीवन में सफलता प्राप्त करने में हमारी मदद करते हैं। गुरु पूर्णिमा ज्ञान प्राप्ति का प्रतीक है। इस दिन हम अपने गुरुओं से ज्ञान प्राप्त करने का संकल्प लेते हैं और जीवन में सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने का वचन देते हैं। गुरु पूर्णिमा का दिन आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस दिन हम अपने गुरुओं से आशीर्वाद प्राप्त करके मोक्ष के मार्ग पर आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं।