ऑनलाइन मोबाइल गेम की लत युवाओं के लिए घातक , शुरुवाती दौर में किशोर बन रहे कर्जदार बाद में मानसिक बीमार

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मोबाइल गेम की लत से बच्चे व युवा हो रहे मानसिक बीमार व हिंसक:- डॉ. राजकुमार गुप्ता।

देवली:-(बृजेश भारद्वाज)। शहर में आजकल युवाओं को किसी भी उद्यान,चाय की थडियों, बस स्टैंड आदि जगहों पर मोबाइल में ऑनलाइन गेम खेलते दिख जाना आम बात हो गयी है।

लेकिन वो इससे जुड़े खतरों से बेफिक्र नादानी मे केवल अपने मज़े के लिए जीवन बर्बाद करने पर तुले हुए है। जिन बच्चो के लिए माँ- बाप बडे बडे सपने सजाए बैठे है वही बच्चे अपने भविस्य की अंत्येष्टि करने पर आमादा है।

कई घरों के बच्चों को मोबाइल की ऐसी लत है कि वे मोबाइल छोड़ना ही नहीं चाहते। मोबाइल लेने पर एकदम गुस्सा हो जाते हैं। घर का सामान तोड़ देते हैं। उनके व्यवहार में उग्रता आ जाती है। इसके चलते उनमें तनाव बढ़ रहा है।

कुछ मामलों में दौरे भी पड़ने लगते हैं। इससे बच्चों का मानसिक विकास रुक रहा है। वे गुमसुम रहने लगे हैं।आज के समय में मोबाइल लोगों की जिंदगी में जरूरत से ज्यादा मजबूरी बन गया है।

इसके साथ ही जो कसर रह जाती है उसे इंटरनेट पूरा कर देता है। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चों और यूथ पर पड़ रहा है।जैसे-जैसे इंटरनेट का चलन तेजी से बढ़ा वैसे-वैसे लोगों को कई प्रकार की सुविधाएं भी मिली हैं, लेकिन बहुत से लोग इंटरनेट का इस्तेमाल गलत चीजों में कर रहे हैं।

आज का यूथ ऑफलाइन किताबों और पढ़ाई से ज्यादा समय फोन और इंटरनेट का इस्तेमाल ऑनलाइन गेमिंग और सोशल मीडिया पर बिताता है।इसका दुष्प्रभाव यह देखने को मिला कई जगह कुछ बच्चों ने ऑनलाइन गेमिंग की लत के कारण अपने माता-पिता के रोकने टोकने या मोबाइल न देने की वजह से परेशान होकर आत्महत्या तक कर ली

वहीं ऑनलाइन गेम खेलना युवाओं के साथ साथ उनके पूरे परिवार को भारी पड़ रहा है बच्चे और युवा मानसिक रूप से बीमार तो हो ही रहे हैं. इसके साथ ही वह कर्जदार भी बन गए हैं। ये लत किशोरों को मानसिक रूप से बीमार बना रही है। राजकीय चिकित्सालय में कार्यरत चिकित्सक राजकुमार गुप्ता से हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि मोबाइल गेम की लत से बच्चे हिंसक हो रहे हैं . इससे उनके करियर पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

उन्होंने बताया कि मोबाइल गेम की लत छोड़ने के लिए परिवार के सदस्य एक – दूसरे संग समय बिताएं . परिजन , बच्चों के साथ कुछ नया क्रिएटिव करने की जानकरी दें और उन्हें सिखाएं . बच्चों में बुक रीडिंग की आदत डालें और हर रात बुक रीडिंग कराकर ही सुलाएं .

बच्चों के साथ सुबह सैर पर जरूर जाएं और उन्हें सुबह शाम मोबाइल से थोड़ा दूर रखने का प्रयास करें। सुबह की सैर पर जाए बच्चों व उनके दोस्तों के साथ आउटिंग पर जाएं और उन्हें प्राकृतिक नजारे दिखाएं।जिससे कि बच्चों का मानसिक तनाव कम हो सके।

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