देवली:-(बृजेश भारद्वाज)। इस संसार की एकमात्र हकीकत है मृत्यु , चाहे राजा हो या रंक आखिर में उसकी जीवन यात्रा का अंतिम पड़ाव शमशान घाट है।
जहाँ उसके शरीर को पंचतत्व मे विलीन हो जाना है इस हकीकत से हर इंसान भली भांति वाकिफ भी है।मगर आज वो ये भूल चुका है कि एक दिन उसे भी इशी बैकुंठ धाम में आकर खाख होना है।इन्ही पगडंडियो के रास्ते से शमशान तक का सफर तय करना है।
जी, हाँ में बात कर रहा हूं देवली शमशान घाट के प्रवेश द्वार पर पड़े गंदगी के ढेर की जहाँ से फ़क़ीर ओर अमीर दोनो की अर्थी गुजरती है मज़े की बात ये है कि मुर्दे को तो इस गंदगी से कोई सरोकार नही मगर उस अर्थी को कंधा देने वालो के साथ अंत्येष्टि मे शामिल लोगों का उस गंदगी भरे वातावरण जहाँ कूड़े करकट,मवेशियों के मल के साथ साथ मृत पशुओं के शव तक सड़ांध मारते रहते है
जहाँ से निकलना दुस्वर होता है। मगर मजाल कभी प्रसाशन का इस ओर ध्यान आकर्षित हुआ हो। आज जब भी किसी मृत देह को इस रास्ते से शमशान ले जाया जाता है तो मौजूद लोगों में इस गंदगी को लेकर चर्चा जरूर होती है
मगर वो चर्चा ले जाई गई चिता के जलने के साथ ही धुंवा हो जाती है। कुल मिलाकर ये मसला बातों से शुरू होकर बातों पर ही खत्म हो जाता है।अब ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा कि मोक्ष धाम द्वार के अच्छे दिन कब आएंगे।
वैसे इस तरह के जनहित कार्य के लिए भी जनता को मिन्नते करनी पड़े तो किसी भी जनप्रतिनिधि व अधिकारी के लिए इससे बडी शर्म की बात दूसरी कोई हो नही सकती।