मृदा स्वास्थ्य में वर्मी कंपोस्ट (केंचुए की खाद) की अहम भूमिका के विषय में बताया गया।

शिक्षा

देवली:-(बृजेश भारद्वाज) शनिवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय कृषि महाविद्यालय सिरोही, देवली में कार्यरत कृषि प्राध्यापक डॉ आर सी सांवल के निर्देशन में प्रथम व द्वितीय वर्ष के कृषि छात्रों को वर्मी कंपोस्ट उत्पादन विधि एवं मृदा स्वास्थ्य में वर्मी कंपोस्ट की अहम भूमिका के बारे में बताया गया ।

उन्होंने बताया कि वर्तमान समय की खेती पद्धति में कीटनाशकों, फफूंदनाशको एवं आदि रसायनिक उर्वरकों का अंधाधुंध उपयोग करने से मृदा स्वास्थ्य में गिरावट हो रही है और साथ ही कृषि उत्पादों की गुणवत्ता में कमी आ रही है । इसके साथ ही इन सभी रसायनों के दुष्प्रभाव से मानव जीवन पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है अतः इन सभी दुष्प्रभावों को कम करने तथा मृदा स्वास्थ्य को उत्तम बनाए रखने हेतु केंचुए की खाद का उपयोग करना बहुत जरूरी है जिससे वर्मीकंपोस्ट (केंचुए की खाद) द्वारा मृदा की जैविक भौतिक एवं रासायनिक गुणों में बढ़ोतरी लाई जा सकती है, साथ ही मृदा की उर्वरा शक्ति में बढ़ोतरी कर सकते हैं जिससे जिससे हम कृषि गुणवत्ता युक्त एवं अधिकतम कृषि उत्पादन ले सकते हैं। इस दौरान महाविद्यालय के युवा कृषि प्राध्यापक राजू लाल धाकड़ जी द्वारा सभी कृषि छात्रों को जैविक खेती के महत्व आदि विषय में समझाया गया उन्होंने बताया कि जो उत्पाद हम जैविक खेती के द्वारा प्राप्त करते हैं

वह उच्च गुणवत्ता वाला होता है साथ ही जैविक खेती में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग ना करके जैविक खादों का उपयोग करते हैं, जिसके कारण मृदा की उर्वरा शक्ति लंबे समय तक बनी रहती है तथा वातावरण भी शुद्ध बना रहता है। इस दौरान कृषि महाविद्यालय के कृषि प्रसार विभाग के प्रध्यापक रामबाबू पाल उपास्थित रहे।

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