देवली:-(बृजेश भारद्वाज)। पंडित दीनदयाल उपाध्याय कृषि महाविद्यालय देवली, टोंक की निदेशक नीलू अग्रवाल ने कृषि संकाय के छात्रों को कृषि में रोजगार की संभावनाएं एवं विभिन्न कृषि तकनीकों को समझने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र एवं कृषि अनुसंधान केंद्र कोटा में एक दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण का कार्यक्रम रखा।
इस शैक्षणिक भ्रमण में महाविद्यालय के तृतीय वर्ष के छात्र-छात्राओं को एसोसिएट डीन डॉ अंकित चोकडीवाल ने बस को हरी झंडी दिखा कर कृषि विज्ञान केंद्र एवं कृषि अनुसंधान केंद्र कोटा हेतु रवाना किया। कृषि विज्ञान केन्द्र कोटा के इन्चार्ज डॉ महेंद्र सिंह ने छात्रों को अपनी उपस्थिति में कृषि विज्ञान केंद्र मे चल रही विभिन्न इकाइयों मॉडल डेरी फार्म , वर्मी कम्पोस्ट इकाई , सिरोही नस्ल बकरी इकाई . बीज उत्पादन इकाई , संरक्षित खेती के बारे में विद्यार्थियों को अवगत करवाया। इस दौरान विद्यार्थियों ने फसल उत्पादन, बीज उपचार, रासायनिक खाद के उपयोग से होने वाले नुकसान के संबंध में भी सवाल जवाब किए।
डॉ महेंद्र सिंह ने कृषि को बढ़ावा देने के लिए इसे विज्ञान से जोड़कर चलने के बारे में जरूरी बताते हुए छात्रों को प्रारंभिक स्तर से कृषि को वैज्ञानिक ढंग से करने के लिए प्रेरित किया , जिससे इसे व्यवसाय से जोड़ा जा सकता है। उन्होंने छात्र-छात्राओं को वैज्ञानिक तरीके से की जा रही प्राकृतिक एवं जैविक खेती की जानकारी दी भी प्रदान की ।
कृषि विज्ञान केंद्र पर डॉ रूप सिंह ने छात्रों को दी खाद्य प्रसंस्करण इकाई, धनिया खाद्य प्रसंस्करण इकाई, लहसुन प्रसंस्करण इकाई, बेकरी प्रसंस्करण इकाई के बारे में विद्यार्थियों को जानकारी देकर अच्छी आमदनी प्राप्त करने के संबंध में छात्रों को जानकारी दी। डॉ रूप सिंह ने फूल व फसलों की नर्सरी के बारे में छात्र-छात्राओं की जिज्ञासाओं को शांत किया। वर्मी कंपोस्ट के बारे में छात्रों को जानकारी दी। शस्य वैज्ञानिक ने बूंद-बूंद सिंचाई के संबंध में जानकारी दी। छात्र-छात्राओं के द्वारा इस एक दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण में आधुनिक खेती एवं कृषि तकनीक के बारे में कृषि विज्ञान केंद्र कोटा से जानकारी प्राप्त हुई ।
तत्पश्चात विद्यार्थी कृषि अनुसंधान केंद्र कोटा पहुंचे जहां पर डॉ रामराज ने अनुसंधान केंद्र पर चल रही कंदीय फसल आलू पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के बारे में विद्यार्थियों को जानकारी प्रदान की तथा निकट भविष्य में आने वाली विभिन्न फसलों की वैरायटी के बारे में अवगत करवाया, कृषि अनुसंधान केन्द्र उम्मेदगंज कोटा के विजयराम मीना ने कृषि अनुसंधान केंद्र पर चल रही अन्य एआईसीआरपी परीक्षण सरसों, मसूर, चना, एकीकृत कृषि प्रणाली, जैविक खेती अपनाकर आर्थिक स्थिति सुदृड़ करने को लेकर जानकारी दी। कृषि अनुसंधान अधिकारी डॉ खान सिंह ने तिलहन और दलहन परियोजना के बारे में बताया। अनुसंधान केंद्र पर फसलों में लगने वाले किट एवं रोग प्रकोप की जानकारी दी तथा समय रहते किट नियंत्रण के उपाय करने तथा फसलों को रोक प्रकोप से बचाने को लेकर किए जाने वाले उपायों को समझाया। छात्रों ने ट्राइकोडर्मा यूनिट का भ्रमण किया एवं जैव कीटनाशक के बारे में जानकारी प्राप्त की । कृषि अनुसंधान केंद्र पर छात्रों को जैविक खेती, सिंचाई प्रबंधन को लेकर जानकारी दी।
कृषि अनुसंधान केंद्र के इंचार्ज डॉ भवानी शंकर मीना ने बताया कि वर्ल्ड बेंक की सहायता से कही सारे प्रोजेक्ट चलाये जा रहे है जिसमे किसानों को बगीचों के स्थापना, बून्द-बून्द सिंचाई यंत्रो को किसानों के यहा लगवाना कम लागत में भंडारण की व्यवस्था, यंत्री करण आदि के बारे में बताया गया, साथ ही कहा कि अनुसंधान केंद्र से प्राप्त फसलों की वैरायटीयो की जानकारी के माध्यम से किसान कम लागत में अधिक उत्पादन ले सकते है । साथ ही साथ सरकार के द्वारा किसानो को कृषि यंत्रो, भंडारण, बून्द बून्द सिंचाई सयंत्र, सौर ऊर्जा सयंत्रो पर मिलने वाली अनुदान राशि की जानकारी भी प्रदान की, जिसका लाभ किसान ले रहे है । प्रबंध निदेशक राकेश पाराशर ने बताया की इस प्रकार के शैक्षणिक भ्रमण का उद्देश्य से कृषि छात्रों के कौशल और विज्ञान को विकसित करना है । इस शैक्षणिक भ्रमण में कृषि महाविद्यालय के व्याख्या डॉ बी एस मीणा, डॉ दयाशंकर मीणा, राजू लाल धाकड़ एवं मि किंकर सिंह छात्रों के साथ उपस्थित रहे ।