मृत्यु भोज का किया बहिष्कार,दुर्गा माता के समक्ष ली शपथ।

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देवली:-(बृजेश भारद्वाज)। देवली के बंगाली समुदाय ने मृत्यु भोज का बहिष्कार कर दिया है। मां दुर्गा सेवा समिति के लोगों ने बताया कि अब से बंगाली समुदाय के सभी लोगों ने मृत्यु भोज को अपनी स्वेच्छा से बंद कर दिया है अगर कोई मृत्यु भोज करता पाया जाए तो उससे 11000 का जुर्माना वसूला जाएगा।

समिति के सचिव अशोक मंडल ने जानकारी देते हुए बताया कि मृत्यु भोज करना सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टिकोण से ग्रहण करने योग्य नहीं है। मृत्युभोज खाने वाले की ऊर्जा नष्ट हो जाती है। महाभारत के अनुशासन पर्व में लिखा है कि जिस परिवार में मृत्यु जैसी विपदा आई हो उसके साथ इस संकट की घड़ी में तन, मन, धन से सहयोग करें परंतु बारहवीं या तेरहवीं पर मृतक भोज का पुरजोर बहिष्कार करें। महाभारत में दुर्योधन द्वारा श्री कृष्ण से भोजन करने के आग्रह पर कृष्ण ने कहा कि ‘‘सम्प्रीति भोज्यानि आपदा भोज्यानि वा पुनैः’’ अर्थात जब खिलाने वाले का मन प्रसन्न हो, खाने वाले का मन प्रसन्न हो, तभी भोजन करना चाहिए।

वहीं सामाजिक दृष्टिकोण से यह उचित नहीं है। किसी सदस्य के मरने के दौरान उसके इलाज में बहुत परेशानी होती है। व्यक्ति आर्थिक रूप से कमजोर हो जाता है। कई लोगो का परिवार भयंकर कर्ज में डूब जाता हैं। ऐसे में सिर्फ लोकलज्जा की वजह से और अधिक कर्ज या चल-अचल संपत्ति को बेचकर मृत्युभोज करना किसी दृष्टिकोण से उचित नहीं हो सकता। समाज में बुद्धिजीवियों के साथ साथ बड़ी संख्या में लोग इस मृत्युभोज के पक्ष में नहीं हैं। इस मौके पर समिति अध्यक्ष निखिल विश्वास, सचिव अशोक मंडल, पार्षद प्रताप विश्वास, तरुण बैरागी, कमल राय, शेखर मंडल, दिलीप विश्वास, गोपी सरकार,भवतोष मंडल व कॉलोनी के कई लोग मीटिंग में मौजूद रहे और सभी ने मां दुर्गा के सामने शपथ ली।

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