सांसारिक रिश्तो की अपेक्षा ईश्वर में मोह रखना उचित :- आचार्य कैलाशचंद

धर्म

देवली:-(बृजेश भारद्वाज)। नापाखेड़ा गांव में सोमवार से शुरू हुए तीन दिवसीय धार्मिक कार्यक्रम को लेकर ग्रामीणों ने बनास नदी घाट पर जल मंडल विधान, गणेश व कन्या पूजन के साथ मुख्य चौक स्थित चारभुजा नाथ मंदिर में संगीतमय भागवत कथा का वाचन के साथ ही सात दिवसीय धार्मिक कार्यक्रमों का आगाज हुआ।

कथा श्रवण के दौरान आचार्य कैलाशचंद शास्त्री बोटुंदा व उपाचार्य राजकुमार दाधीच ने भगवान की कई लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि श्री मद्भागवत कथा में जड़ भरत की कथा में मृग के बच्चे में होना था भाव भगति से बिमुख होना मृग नैनी के बच्चे से इतना मोह हो गया जो भगवान की भगति टूट गई इस लिये परमात्मा से जो लगन जुड़ी हुई हो उसने सदा के लिये भगवान का भजन कीर्तन में बिमुख नही होना चाइए

भगवान का नाम दुख में भी लेना ओर सुख में भी लेना चाइए।इसलिये संसार के भक्तों को तारने का कार्य ईश्वर ही करता है ऐसे ज्ञानी होते हुए भी ऐसा जड़बर्स चीटियों को भी बचा कर चलता था तो भी भगवान ने मृग नैनी से बच्चे ने मोह रख दिया इस लिये भक्त को नाती पोते पति पत्नी वह परिवार से मोह नही रखना चाइए

केवल भगवान में ही स्नेह रखना उचित है।राधा कृष्ण चार भुजा नाथ शिव पंचायतन कलश तुलसी विवाह वेद मंत्रो के द्वारा किया गया है।

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