शव रखकर प्रदर्शन पर 5 साल तक जेल:परिजन ने डेड बॉडी नहीं ली तो भी 1 साल की सजा।
देवली:-(बृजेश भारद्वाज)। मंगलवार को
एसओपी की पालना सुनिश्चित करने की मांग को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन देवली की ओर से जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक के नाम देवली एसडीओ दुर्गा प्रसाद मीणा, डीएसपी सुरेश कुमार को ज्ञापन सौंपा गया है।
ज्ञापन में बताया कि चिकित्सकों की लापरवाही की एफआईआर से पहले राजस्थान सरकार के गृह विभाग की जारी मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार चिकित्सक की लापरवाही की जांच करने व अस्पताल में वही इस एसओपी की पालना से अस्पताल में राजकार्य में बाधा नहीं होगी। इसके अलावा चिकित्सा सेवाएं 24 घण्टे संचालित रहेगी।
वहीं विधेयक तथा एसओपी की पालना सुनिश्चित करने को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन देवली की ओर से जिला कलक्टर व पुलिस अधीक्षक के नाम चिकित्सकों ने देवली एसडीओ दुर्गा प्रसाद मीणा को ज्ञापन सौंपा है। गौरतलब है कि राजस्थान में शव लेकर प्रदर्शन करने पर अब जेल जाना होगा। इसे लेकर विधानसभा में कानून पारित किया गया है। राजस्थान मृत शरीर का सम्मान विधेयक -2023 मृत शरीरों की गरिमा को सुनिश्चित करते हुए इनके धरना-प्रदर्शन में किए जाने वाले दुरूपयोग पर प्रभावी रोक लगाएगा। इस विधेयक से लावारिस शवों की डीएनए एवं जेनेटिक प्रोफाइलिंग कर डाटा संरक्षित भी किया जाएगा ताकि भविष्य में उनकी पहचान हो सके।
मृत शवों को रखकर धरना-प्रदर्शन की प्रवृत्ति दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. वर्ष 2014 से 2018 तक इस तरह की 82 एवं वर्ष 2019 से अब तक 306 घटनाएं हुई हैं. वर्तमान में ऐसी घटनाओं पर प्रभावी रूप से रोक लगाने के लिए विधिक में प्रावधान नहीं हैं, इसीलिए यह विधेयक लाया गया है।
ज्ञापन सौंपने में आईएमए देवली के अध्यक्ष अनंत जैन, सचिव गौरव व्यास, ट्रेजरार केके सिंहल, राजकुमार गुप्ता, सुधीर माथुर,धनराज जाट समेत कई चिकित्सक मौजूद थे।
परिजन द्वारा मृत व्यक्ति का शव नहीं लेने की स्थिति में विधेयक में एक वर्ष तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान किया गया है. साथ ही, परिजन द्वारा धरना-प्रदर्शन में शव का उपयोग करने पर भी 2 वर्ष तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान किया गया है. इसी प्रकार, परिजन से भिन्न अन्य व्यक्ति द्वारा शव का विरोध के लिए इस्तेमाल करने पर 6 माह से 5 वर्ष तक की सजा एवं जुर्माने से दण्डित करने का प्रावधान किया गया है. राजस्थान में शव लेकर प्रदर्शन करने पर होगी जेल, विधानसभा में कानून पारित परिजन द्वारा मृत व्यक्ति का शव नहीं लेने की स्थिति में विधेयक में एक वर्ष तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान किया गया है. साथ ही, परिजन द्वारा धरना-प्रदर्शन में शव का उपयोग करने पर भी 2 वर्ष तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
परिजन के लिए 1 से 2 साल की सजा….
मृतक के परिवार का सदस्य अगर डेड बॉडी का इस्तेमाल विरोध जताने के लिए करता है या किसी नेता या गैर-परिजन को ऐसा करने की अनुमति देता है तो उसे 2 साल तक की सजा हो सकती है। अगर परिजन डेड बॉडी लेने से मना करता है तो उसे 1 साल तक की सजा हो सकती है।
नेता या गैर-परिजन को 5 साल की सजा.….
अगर कोई नेता या गैर-परिजन किसी डेड बॉडी का इस्तेमाल विरोध प्रदर्शन के लिए करेगा तो उसे 5 साल तक सजा का प्रावधान किया गया।
जरूरी न हो तो अंतिम संस्कार जल्द से जल्द करना होगा…..
बिल में प्रावधान है कि परिजन को मृतक का अंतिम संस्कार जल्द से जल्द करना होगा। अंतिम संस्कार में देरी तभी की जा सकेगी, जब परिजन बाहर से आने वाले हों या पोस्टमॉर्टम करना हो।
अफसर बॉडी अपने कब्जे में ले सकते हैं…..
किसी थानाधिकारी या अफसर को यह लगता है कि डेड बॉडी का इस्तेमाल परिजन, गैर-परिजन या नेता विरोध प्रदर्शन के लिए कर सकते हैं तो वह उसे अपने कब्जे में ले सकेगा। इसकी सूचना एसडीएम को देनी होगी। थाना अधिकारी डेड बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भी भेज सकता है।
24 घंटे में अंतिम संस्कार करने का नोटिस भेजेंगे…...
पुलिस से सूचना मिलने के बाद संबंधित मजिस्ट्रेट या एसडीएम डेड बॉडी के अंतिम संस्कार के लिए परिवार के मेंबर्स को नोटिस भेजेगा। मृतक का परिवार अगर डेड बॉडी का अंतिम संस्कार नहीं करता है तो मजिस्ट्रेट 24 घंटे के अंदर अंतिम संस्कार करने के सशर्त आदेश देगा।
कोई वैलिड कारण होने पर मजिस्ट्रेट इस समय अवधि को बढ़ा भी सकेगा। इसके बाद भी परिवार के मेंबर अगर अंतिम संस्कार नहीं करते हैं तो प्रशासन अपने स्तर पर अंतिम संस्कार करेगा।
लावारिस लाशों को सम्मान से डीप फ्रीजर में रखना होगा……
लावारिस मिली डेड बॉडी और बिना दावे वाली डेड बॉडी को डीप फ्रीजर में रखा जाएगा। यह भी सुनिश्चित करना होगा कि महिला और पुरुष की डेड बॉडी को अलग-अलग रखा जाए।
डीप फ्रीजर या मॉर्च्युरी में डेड बॉडी को सम्मानजनक तरीके से रखना होगा। लावारिस डेड बॉडी के पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी होगी।
लावारिस लाशों का जेनेटिक डेटा स्टोर करना होगा
लावारिस मिली हुई डेड बॉडी के जेनेटिक डेटा की सूचना DNA प्रोफाइलिंग से ली जाएगी।
लावारिस लाशों का डेटा बैंक बनाया जाएगा जिसमें उनके जेनेटिक प्रोफाइल और बायोलॉजिकल सैंपल को स्टोर करने की पूरी सुविधा होगी। इसका अलग से डेटा बैंक बनेगा।
राज्य सरकार लावारिस लाशों का जिलेवार डिजिटल डेटा बैंक बनाएगी। इस डिजिटल डेटा को स्टोरेज करने के लिए एक वेब पोर्टल बनाएगी। लावारिस डेड बॉडी के डेटा को लापता व्यक्तियों के डेटा के साथ मिलान करने के लिए उपयोग में लिया जा सकता है।
लावारिस लाशों से संबंधित डेटा गोपनीय रहेगा।
कोई भी अफसर या व्यक्ति मृतक से संबंधित रिकॉर्ड की जानकारी तब तक किसी को नहीं देगा, जब तक ये सूचना देना कानूनन जरूरी न हो।
इतना ही नहीं, जेनेटिक डेटा और इससे जुड़ी जानकारी शेयर करने और गोपनीयता भंग करने पर भी सजा होगी। इसके लिए कम से कम 3 साल व अधिकतम 10 साल तक की सजा और जुर्माना होगा।