भागवत कथा श्रवण से ही हो सकता है भवसागर पारः-प्रियाकिशोरी जी।

धर्म

देवली:-(बृजेश भारद्वाज)। शहर के गोरव पथ स्थित अटल उद्यान के टीन शेड प्लेटफार्म पर सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के दुसरे दिन कथावाचक प्रिया किशोरी जी ने वेदव्यास जी द्वारा भागवत की रचना करना तथा भागवत सुनाने के लिए अपने ही पुत्र शुकदेव महाराज का चयन करना, वेदव्यास जी के शिष्यों द्वारा शुकदेव को आधा श्लोक सुनाना, वेदव्यास जी द्वारा शुकदेव जी की परीक्षा लेने के लिए जनकजी के पास भेजने के प्रसंग को विस्तार से सुनाया।

कथा में उन्होंने शुकदेव जी द्वारा परीक्षित को कथा सुनाना, अश्वत्थामा द्वारा द्रोपदी के पांचों पति के स्थान पर पांचों पुत्रों का सिर काटकर दोस्त दुर्योधन को खुश करना, द्रोपदी द्वारा अश्वत्थामा को माफ करना, कृष्ण द्वारा अश्वत्थामा की मणी निकालना, अश्वत्थामा द्वारा अभिमन्यु की पत्नी उतरा के गर्भ पर ब्रह्मास्त्र चलाना, कृष्ण द्वारा उतरा के गर्भ की रक्षा करना, कुंती द्वारा कृष्ण से वरदान के रूप में दुःख मांगने की कथा सुनाई।

उतरा के गर्भ से परिक्षित का जन्म, परिक्षित के सम्मुख कलयुग का आना, कलयुग ने कहा कि मेरे में अवगुण बहुत हैं लेकिन एक अच्छा गुण भी है। राम का नाम लेकर भी भवसागर पार कर सकते हैं। कलयुग को जुआ, पाप की कमाई, सोने में तथा मदिरा में स्थापित किया। कोटुक वंश के सोने के मुकुट में कलयुग ने अपना स्थान बना लिया। परिक्षित के मुकुट पहनने पर कलयुग के प्रभाव से त्रस्त होकर संत के गले में मरा हुआ सर्प डालना, संत के पुत्र श्रंगी ऋषि द्वारा सात दिन में तक्षक नाग द्वारा परीक्षित को डसने का श्राप दे देने की कथा विस्तार से सुनाई।

सोमवार को कथा के मुख्य यजमान शक्ति सिंह राजावत ने सपत्निक मौजूद रहकर कथा श्रवण का लाभ लिया। कथा के दौरान महिलाओं व पुरुषों ने भाव विभोर होकर नृत्य भी किया।

 

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