देवली:-(बृजेश भारद्वाज)। बावड़ी बालाजी परिसर देवली में चल रही श्रीमद भागवत कथा के तृतीय दिवस पर शिव विवाह कार्यक्रम का आयोजन हुआ जहां नन्हे मुन्ने बच्चों ने शिव पार्वती की जीवंत झांकी सजाई जिसको देखकर पंडाल में मौजूद सभी भक्त भाव विभोर हो गए।
महिलाओं ने भजनों पर खूब नृत्य किया। वहीं शिव बारात का गर्म जोशी के साथ पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। महाराज श्री स्वामी बसंत महाराज ने प्रवचन देते हुए कहा कि शिवजी जब बारात लेकर चलने लगे तो उनकी बारात में भूत-प्रेत,बेताल सब मगन होकर नाच रहे थे। भगवान शिव स्वयं नंदी पर विराजमान थे और गले में नाग की माला धारण किए हुए थे। साथ में भगवान विष्णु और ब्रह्माजी भी देवताओं की टोली लेकर चल रहे थे। समूचा त्रिलोक शिव विवाह के आनंद से मगन हो रहा था। माता पिता से आज्ञा लेकर देवी पार्वती जनवासे में गईं जहां शिवजी विराजमान थे।
देवी पार्वती भगवान शिव से बोली के हे प्रभु आप अपनी लीला समेटिए मेरी माता आपका मसानी रूप देखकर व्याकुल हो रही हैं और आपसे मेरा विवाह नहीं करवाना चाहती हैं। हर माता की तरह उनकी भी इच्छा है कि उनका दामाद सुंदर और मनमोहक हो इसलिए आप अपने दिव्य रूप को प्रकट कीजिए। देवी पार्वती की मनोदशा समझकर शिवजी ने अपनी लीला समेट ली और भगवान विष्णु और चंद्रमा ने मिलकर भगवान शिव को दूल्हे के रूप में तैयार किया। भगवान शिव अपने चंद्रमौली रूप को धारण करके सबका मन मोह रहे थे। ऐसी मान्यता है कि उत्तराखंड में स्थित त्रियुगी नारायण मंदिर ही वह स्थान है जहां पर भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था और शिव पार्वती ने फेरे लिए थे।
यहां आज भी वह अग्नि प्रज्वलित है जिसके फेरे शिव और पार्वती ने लिए थे। कथा के दौरान महाराज श्री ने कहा कि इस संसार में मनुष्य का जन्म केवल भगवत प्राप्ति के लिए हुआ है सांसारिक सुखों को भोगते हुए भी मनुष्य भगवान के भक्ति मार्ग पर चलकर जन्म मरण के चक्र से मुक्त होकर हरि चरणों में विलीन हो सकता है। उक्त कथा का आयोजन दुर्घटना में घायल गोवंश की सेवार्थ सहायता राशि एकत्रित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है अतः सभी भक्तगण अधिक से अधिक संख्या में गौ सेवार्थ सहयोग राशि समर्पित करें। इस राशि का उपयोग ग्वाला गौ चिकित्सालय गणेश रोड स्थित गौशाला में घायल गोवंश के उपचार हेतु कार्य में लिया जाएगा।