देवली:-(बृजेश भारद्वाज) 7 दिन से बावड़ी बालाजी मंदिर प्रांगण देवली में चल रही है श्रीमद् भागवत कथा का समापन सोमवार को हुआ जहां स्वामी बसंत महाराज ने प्रवचन करते हुए कहा कि सच्चा भक्त वही है जो भगवान को अपना मान ले उसके उपरांत भगवान भी उस भक्त को अपना मान लेते हैं उसके बाद उस भक्त के समस्त सुख-दुख भगवान के होते हैं। सुदामा चरित्र की कथा सुनाते हुए महाराज श्री ने कहा कि निस्वार्थ समर्पण ही असली मित्रता है।
उन्होंने बताया कि सुदामा चरित्र हमें जीवन में आई कठिनाइयों का सामना करने की सीख देता है। सुदामा ने भगवान के पास होते हुए अपने लिए कुछ नहीं मांगा। अर्थात निस्वार्थ समर्पण ही असली मित्रता है। कथा के दौरान परीक्षित मोक्ष व भगवान सुखदेव की विदाई का वर्णन किया गया। कथा के बीच-बीच में भजनों पर श्रद्धालुओं ने नृत्य भी किया। इस दौरान बड़ी संख्या में महिला पुरुष श्रोता मौजूद थे। कथा वाचक कैलाश राजोरिया ने बताया कि भागवत कथा का श्रवण से मन आत्मा को परम सुख की प्राप्ति होती है। भागवत में बताए उपदेशों उच्च आदर्शों को जीवन में ढालने से मानव जीवन जीने का उद्देश्य सफल हो जाता है।
सुदामा चरित्र के प्रसंग में कहा कि अपने मित्र का विपरीत परिस्थितियों में साथ निभाना ही मित्रता का सच्चा धर्म है। मित्र वह है जो अपने मित्र को सही दिशा प्रदान करे,जो कि मित्र की गलती पर उसे रोके और सही राह पर उसका सहयोग दे। कथा के दौरान भगवान श्री कृष्ण-सुदामा की जीवन की सजाई गई। कृष्ण सुदामा की मित्रता के करुण दृश्य को देखकर पंडाल में मौजूद सभी भक्तगण भाव विभोर हो गए। इस मौके पर भगवान गुरु कृपा संस्थान के पंडित मुकेश गौतम व श्री सांवरिया सेठ गौशाला के सदस्यों ने कथा स्थल पहुंचकर महाराज श्री का माल्यार्पण कर अभिनंदन किया।
उक्त कथा से जुड़े समाजसेवी आशीष पंचोली ने जानकारी देते हुए बताया की कथा के दौरान एकत्रित धनराशि का उपयोग गणेश रोड स्थित श्री सांवरिया सेठ गौशाला के विकास कार्य में खर्च किया जाएगा। कथा समाप्ति पर श्रीमद्भागवत जी की आरती के पश्चात प्रसाद वितरण किया गया।