देवली:-(बृजेश भारद्वाज)। कोटा रोड स्थित निजआवास पर चल रही कथा के तीसरे दिवस वामन अवतार व नरसिंह अवतार कथा सुनाई गई। आचार्य पंडित योगेश शास्त्री ने कथा व्याख्यान करते हुए बताया कि सतयुग में असुर बलि ने देवताओं को पराजित करके स्वर्गलोक पर अधिकार कर लिया था।
इसके बाद सभी देवता भगवान विष्णु के मदद मांगने पहुंचे। तब विष्णुजी ने देवमाता अदिति के गर्भ से वामन रूप में अवतार लिया। इसके बाद एक दिन राजा बलि यज्ञ कर रहा था, तब वामनदेव बलि के पास गए और तीन पग धरती दान में मांगी। शुक्राचार्य के मना करने के बाद भी राजा बलि ने वामनदेव को तीन पग धरती दान में देने का वचन दे दिया।
इसके बाद वामनदेव ने विशाल रूप धारण किया और एक पग में धरती और दूसरे पग में स्वर्गलोक नाप लिया। तीसरा पैर रखने के लिए कोई स्थान नहीं बचा तो बलि ने वामन को खुद सिर पर पग रखने को कहा। वामनदेव ने जैसे ही बलि के सिर पर पैर रखा, वह पाताल लोक पहुंच गया। बलि की दानवीरता से प्रसन्न होकर भगवान ने उसे पाताललोक का स्वामी बना दिया और सभी देवताओं को उनका स्वर्ग लौटा दिया। इसी प्रकार नृसिंह अवतार की कथा सुनाते हुए कहा कि नृसिंह, न पूरी तरह से मानव थे और न ही पशु।
हिरण्यकश्यप का वध करते समय नृसिंह ने उसे अपनी जांघ पर लिटाया था, इसलिए वह न धरती पर था और न आकाश में था। उन्होंने अपने नाखून से उसका वध किया, इस तरह उन्होंने न तो अस्त्र का प्रयोग और न ही शस्त्र का। इसी दिन को नृसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है। कथा की समाप्ति पर ब्राह्मण समाज के श्रेष्ठ व वरिष्ठ लोगों द्वारा कथा के यजमान शशि कुमार हावा व कथावाचक पंडित योगेश शास्त्री का मालार्पण कर साफा बंधवाकर स्वागत किया गया। इस दौरान राजेंद्र शर्मा, सत्यनारायण सरसडी,रमेश चंद्र शर्मा, राधेश्याम शर्मा, कैलाश पंचोली समेत लोग मौजूद रहे। इस मौके पर भगवान नरसिंह की जीवंत झांकी विशेष आकर्षण का केंद्र रही।