भागवत कथा: गजेंद्र मोक्ष व समुद्र मंथन का किया वर्णन।

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देवली:-(बृजेश भारद्वाज)। शहर के कोटा रोड स्थित निजी आवास पर चल रही संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिवस पंडित योगेश शास्त्री ने कथा वाचन किया जहां उन्होंने समुद्र मंथन की कथा सुनाते हुए कहा कि भगवान विष्णु के आदेश पर देवताओं और दानवों द्वारा समुद्र मंथन किया गया। समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश के बारे में कई लोग जानते होंगे।

इस अमृत कलश को प्राप्त करने के लिए दानवों और देवताओं के बीच विवाद छिड़ गया था। लेकिन केवल अमृत ही नहीं बल्कि समुद्र मंथन में अमृत, उच्चै:श्रवा घोड़ा, ऐरावत हाथी, लक्ष्मीजी और धन्वन्तरि समेत 14 बहुमूल्य रत्न प्राप्त हुए।वही गजेंद्र मोक्ष की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि यह संरक्षक देवता विष्णु की प्रसिद्ध लीलाओं में से एक है। विष्णु गजेंद्र (हाथी) को मगरमच्छ के चंगुल से बचाने के लिए पृथ्वी पर आए और गजेंद्र ने मोक्ष प्राप्त की।

वहीं राजा सगर के पुत्रों के उद्धार की कथा सुनाते हुए महाराज श्री ने कहा कि सगर के वंशज दिलीप के पुत्र भागीरथ ने माता गंगा की तपस्या की। मां गंगा ने तपस्या से प्रसन्न होकर भागीरथ को दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा। भागीरथ ने उन्हें धरती पर अवतरित होने का वरदान मांगा। स्वर्ग से गंगा धरती पर आईं और कपिल मुनि के आश्रम में पहुंची जिससे राजा सगर के पुत्रों को मुक्ति मिली। इस दौरान राम जन्म व राम विवाह की कथा भी सुनाई व श्रीराम व श्रीकृष्ण की जीवंत झांकी बनाई गई।

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