गुरु उमाकांत ने सात्विक जीवन व शाकाहारी होने पर दिया बल।

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देवली:-(बृजेश भारद्वाज)। सोमवार को जय गुरुदेव सत्संग मंडल की ओर से शहर के जयपुर रोड स्थित होटल सिदार्थ परिसर में सत्संग आयोजित हुआ। जहाँ सद्गुरु उमाकांत जयपुर में सत्संग करने के बाद देवली पहुंचे। सुबह 9 से 11 बजे तक
सत्संग किया।

लोकतंत्र सेनानी पूज्य बाबा उमाकान्त महाराज ने बताया कि आज भी आपातकाल से मिलती जुलती स्थिति है, जिसमें घर-घर बीमारियां, तकलीफ, टेंशन, परेशानियां फैली हैं। देशद्रोहिता का काम करने वाले ज्यादातर नशेड़ी ही होते हैं, चाहे धन, बल, पद और प्रतिष्ठा के हो या शराब या मादक पदार्थों के हो। शराबबंदी के लिए बड़ा अभियान चलता है, फिर भी देश में शराब बंद नहीं हो पाती है। बाबा जयगुरुदेव जी ने समझा बुझाकर लाखों लोगों की शराब छुड़वा दी।

बंदूक की जगह माला पकड़ लिया, आपराधिक प्रवर्ति की जगह धार्मिक बन गए तो इसी प्रकार वैचारिक क्रांति देश में लाने की जरूरत है। देश के नौजवानों का खान-पान चरित्र बिगड़ रहा है। जरूरत है कि इसे सुधाकर नौजवानों को आगे किया जाए। लोगों को रोजी रोटी मिलने लग जाए, अधिकारियों का सम्मान और बुजुर्गों की कद्र हो, देश को उन्नति के शिखर पर पहुंचाने में मददगार हो जाएं। भारत आध्यात्मिक देश रहा है, रहेगा। सत्संग हॉल में करीब 2 हजार लोग शामिल हुए।

बाबा की मृत्यु को कई बरस बीत चुके हैं लेकिन आज भी उनकी याद में जगह-जगह हजारों लोग जमा होते हैं। बाबा की सही जन्मतिथि किसी को मालूम नहीं है। लेकिन कहा जाता है कि 100 साल पहले उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में इनका जन्म हुआ। बचपन में लोग उन्हें तुलसीदास के नाम से बुलाते थे। गुरु के महत्व को सर्वोपरि रखने वाले और जय गुरुदेव का उद्घोष करने वाले बाबा जय गुरुदेव इसी नाम से प्रसिद्ध हो गए। आजादी के बाद से ही जय गुरुदेव अध्यात्म के प्रचार-प्रसार में जुट गए। उनके गुरु श्री घूरेलाल जी थे जो अलीगढ़ के चिरौली ग्राम (इगलास तहसील) के निवासी थे।

उन्हीं के पास बाबा वर्षों रहे। उनके गुरु जी ने उनसे मथुरा में किसी एकांत स्थान पर अपना आश्रम बनाकर ग़रीबों की सेवा करने के लिए कहा था। गुरु जी की मृत्यु (1948) के बाद उन्होंने अपने गुरु स्थान चिरौली के नाम पर सन् 1953 में मथुरा के कृष्णा नगर में चिरौली संत आश्रम की स्थापना करके अपने मिशन की शुरुआत की। बाबा जय गुरुदेव का 18 मई 2012 की रात मथुरा में निधन हुआ।

एक अनुमान के मुताबिक उनके पास करीब 4000 करोड़ रुपये की संपत्ति थी। उनके पास 100 करोड़ रुपए नगद और 150 करोड़ की 250 लग्जरी गाड़िया थीं। हालांकि बाबा जय गुरुदेव आध्यात्मिक साधना, शराब निषेध, शाकाहार, दहेज रहित सामूहिक विवाह, वृक्षारोपण, निःशुल्क शिक्षा, निःशुल्क चिकित्सा आदि पर विशेष बल देते थे। अध्यात्म की बेल पूरे विश्व में भारत से ही फैलेगी। उससे ही सब का पेट भरेगा, सब ईश्वर वादी खुदापरस्त होंगे। हम और आप आगे बढ़ेंगे तो श्रेय ले लेंगे नहीं तो कोई और ले लेगा।

लोकतंत्र के नाम पर सब एक हो जाएं, एक विचारधारा रखें और योजना बनाकर देशहित का काम शुरु किया जाए। अच्छे काम में, भूखे को भोजन, प्यासे को पानी देने में हमारा पूरा सहयोग रहेगा। देश को वापस सोने की चिड़िया बनाने की जरूरत है। अच्छे काम में देश की उन्नति भौतिक और आध्यात्मिक तरक्की के लिए हमारा, हमारी संस्था का और हमारे प्रेमियों का पूरा सहयोग रहेगा।

प्रार्थना है कि सब लोग अपने-अपने तौर तरीके से ही सही लेकिन उस प्रभु का ध्यान भजन इबादत पूजा पाठ रोज करो। प्रभु को किसी भी तरह से याद करोगे तो वह सद्बुद्धि देगा। जयगुरुदेव नाम प्रभु का जगाया हुआ पूरी ताकत वाला नाम है, संकट में मददगार है। जयगुरुदेव नाम ध्वनि रोज बोल कर तकलीफ बीमारी संकट में राहत ले लो। सत्संग के बाद विशाल भंडारे का आयोजन हुआ जहां हजारों लोगों ने प्रसादी ग्रहण की।

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