देवली:-(बृजेश भारद्वाज)। महावीर निकेतन धर्मशाला दुनी में चल रही संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के सप्तम दिवस में आचार्य श्री कैलाश चंद्र तेहरिया ने भगवान श्री कृष्ण के गृहस्थ आश्रम की लीलाओं के बारे में बताया। श्री आचार्य ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण की गृहस्थ लीला आदर्श लीला है।
ठाकुर जी की गृहस्थ लीला की एक किंचित मात्र अंश भी गृहस्थ प्राणियों के ह्रदय में प्रवेश कर जाता है तो जीवन धन्य हो जाता है। श्रीमद् भागवत कथा श्रवण से मानव जीवन में माधुर्य का आगमन होता है व आपसी भाईचारा बढ़ता है। जहां संत समाज एकत्रित होते हैं, भागवत कथा का गुणगान होता है,
गौ माता की सेवा होती है वही भगवान गोपाल कृष्ण का वास होता है ।जहां प्रेम होता है वही जीवन होता है, जहां घृणा होती है वहां विनाश होता हैl क्षमा करना मनुष्य का धर्म है, घृणा करना शैतान का कार्य हैl प्रेम करना देवत्व का गुण है।
संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा मैं श्री कृष्ण सुदामा मिलन की कथा का वर्णन किया गया कि सुदामा जी चावल की पोटली लेकर भगवान द्वारिकाधीश की शरण में गए। यह चावल की पोटली ही कर्मों की पोटली हैl
मनुष्य अपने कर्मों की पोटली को भगवान के चरणों में समर्पित कर देता है तो वह कर्म बंधन से मुक्त हो जाता है।कथा के अंतिम दिवस पर राम राय तिवारी-गीता देवी एवं तिवारी परिवार दुनी ने श्रीमद्भागवत का पूजन किया सभी श्रद्धालुओं ने महा आरती की एवं प्रसाद प्राप्त किया।