‘प्राण प्रतिष्ठा’ का अर्थ ‘जीवन देना’ :-पंडित मुकेश गौतम।

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* पंडित मुकेश गौतम ने किया श्रीराम महामंत्र यज्ञ, संसार के कल्याण की कामना की गई।

देवली:-(बृजेश भारद्वाज)। आज यानि 22 जनवारी को अयोध्या में राम लला का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम हो रहा है। इसके लिए पूरा देश आज उत्सुक नजर आ रह है। देश के हर मंदिर को आज अद्भूत तरीके से सजाया और सवारा गया है।

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के उपलक्ष में केंद्र सरकार ने देश भर में अपने कर्मचारियों के लिए आधे दिन की घोषणा की है और कई राज्यों ने भी लोगों को अपने घरों में आराम से प्राण प्रतिष्ठा समारोह देखने की अनुमति दी है।देवली में भगवान गुरु कृपा संस्थान देवली के पंडित मुकेश गौतम द्वारा संस्थान पर श्रीराम महामंत्र यज्ञ का आयोजन कर समूचे संसार के कल्याण की कामना की गई। वहीं, प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर कई लोगों के मन में जिज्ञासा पैदा होने लगी है कि आखिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम क्या है और मंदिर की किसी नई मूर्ति के लिए इसे क्यों आयोजित किया जाता है।

प्राण प्रतिष्ठा क्या है ?

भगवान गुरु कृपा संस्थान देवली के पंडित मुकेश गौतम के ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा एक अनुष्ठान होता है। इसे किसी मंदिर को खोलने या उसमें प्रार्थना की अनुमति देने से पहले किया जाता है। शाब्दिक अर्थ में ‘प्राण प्रतिष्ठा’ का अर्थ है ‘जीवन देना’। ‘प्राण’ का अर्थ है जीवन शक्ति और ‘प्रतिष्ठा’ का अर्थ है स्थापना, इसके अर्थ की माने तो अनुष्ठान के द्वारा देवता की मूर्ति को उसमें देवता को बुलाकर ‘जीवित’ बनाया जाता है। यह मूर्ति स्थापित करते समय किया जाता है और वेद-पुराणों के आधार पर किया जाता है। उल्लेखनीय है कि अयोध्या में ये प्राण प्रतिष्ठा के लिए अनुष्ठान का आयोजन 16 जनवरी को शुरू हुआ।

जिसके दौरान मंदिर ट्रस्ट के सदस्य को यजमान बनाया गया। इसके बाद सरयू नदी के तट पर दशविद स्नान, विष्णु पूजा और गोदान, और रामलला की मूर्ति के साथ शहर का भ्रमण किया गया। साथ ही गणेश अंबिका पूजा, वरुण पूजा, मातृका पूजा, ब्राह्मण वरण, वास्तु पूजा, अग्नि स्थापना, नवग्रह स्थापना और हवन हुआ।

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