श्रीमद् भागवत कथा : श्री कृष्ण जन्म की कथा सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु, पूरा पंडाल जयकारों से गूंजा।

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देवली:-(बृजेश भारद्वाज)। व्यक्ति को अहंकार नहीं करना चाहिए अहंकार बुद्धि और ज्ञान का हरण कर लेता है। अहंकार ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। शहर के बावड़ी बालाजी मंदिर प्रांगण में चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा आयोजन के चतुर्थ दिवस पर स्वामी बसंत महाराज ने यह बात कही।

श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का प्रसंग सुनाया। श्रीकृष्ण की जन्म कथा का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे। श्रीकृष्ण जन्म उत्सव पर नन्द के आनंद भयो जय कन्हैयालाल की भजन प्रस्तुत किया तो श्रद्धालु भक्ति में लीन होकर जमकर झूमे। एक-दूसरे को श्रीकृष्ण जन्म की बधाईयां दी गई। वहीं खिलौने और मिठाईयां बांटी गई। कथा महोत्सव में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भजन प्रस्तुत कर भगवान श्री कृष्ण के जन्म की खुशियां मनाई।

इस मौके पर भगवान श्री कृष्ण की मनमोहक जीवंत झांकी को देखकर हर कोई भावुक हो गया। कान्हा के बाल रूप पर पुष्प वर्षा की गई। महाराज श्री ने बताया कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा। सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए। उन्होंने कहा ने कहा कि जब-जब धरती पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं।

जैसे ही कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ पूरा पंडाल जयकारों से गूंजने लगा।उक्त कथा का आयोजन दुर्घटना में घायल गोवंश की सेवार्थ सहायता राशि एकत्रित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है अतः सभी भक्तगण अधिक से अधिक संख्या में गौ सेवार्थ सहयोग राशि समर्पित करें। इस राशि का उपयोग सांवरिया सेठ गौ चिकित्सालय गणेश रोड स्थित गौशाला में घायल गोवंश के उपचार हेतु कार्य में लिया जाएगा।

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