बह रही ज्ञानगंगा, श्रावक कर्तव्यों का बोध करवाया।

देवली:-(बृजेश भारद्वाज)। प.पूज्य श्रमण मुनि108 श्री प्रणीत सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में पार्श्वनाथ धर्मशाला विवेकानन्द कॉलोनी में चल रहे स्मृति परिवर्तन वर्षायोग-2025 के अंतर्गत नित-प्रतिदिन ज्ञान की गंगा का प्रवाह हो रहा है।

णमोकार मण्डल के सदस्य धर्मचन्द जैन(साँडला) एवं ओमप्रकाश जैन (टोरडी) ने बताया की प्रातः काल से ही श्रुतशाला से प्रारम्भ होकर प्रवचन-गंगा एवं मध्यांतर की कक्षाओं से समाज को नई दिशा प्रदान करने का कार्य मुनि श्री द्वारा किया जा रहा है।आज की ज्ञान-गंगा महोत्सव के अंतर्गत मुनि श्री ने धर्म का प्रभाव समजाते हुए श्रावकों को उनके कर्तव्य के बारे में विस्तारपूर्वक बताया, मुनि श्री ने कहा की अगर हम नित-प्रतिदिन हमारे रोज़मर्रा के जीवन को व्यवस्थित बनाने वाले अवयव को धन्यवाद नही करते है, उनसे सहानुभूति नही रखते है तो हमारी मनुष्यता किस काम की साथ ही साथ मुनि श्री ने अमीर गरीब का भेद बताते हुए सूत्र के माध्यम से बताया की सबसे गरीब वह जिसके पास मान(अहम) है, एवं सबसे अमीर वह जिसके पास सम्यकज्ञान है। इसी के साथ मीडिया प्रभारी विकास जैन टोरडी ने जानकारी देते हुए बताया की प्रवचन से पूर्व चित्र अनावरण,दीप प्रज्वलन एवं मुनि श्री के पादप्रक्षालन दिनेश जैन(नर्सिंग ऑफिसर,राजमहल वाले)परिवार द्वारा किया गया! नित्य कक्षाओं में श्रावको की नित व्रद्धि हो रही है

इसी के साथ 9 जुलाई को मुनि श्री का चातुर्मास की स्थापना होगी एवं10जुलाई को गुरुपूर्णिमा महोत्सव मनाया जाएगा। मीडिया के माध्यम से बताते हुए बताया की मुनि श्री व्याकरण के प्रखण्ड विद्वान भी है एवं जो भी जैन-अजैन श्रावक व्याकरण के माध्यम से अपने ज्ञान की वृद्धि करना चाहता है वो नित्य चलने वाली कक्षाओं में समय मे विशेष ध्यान रखकर आ सकता है जो की चातुर्मास स्थल पर ही संचालित है।

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