वीआईपी प्रोटोकॉल मासूम बच्चो की भूख पर पड़े भारी,साहब ने कहा पहले वीआईपी बाद में जनता….

* पुलिस बता रही प्रोटोकॉल, राज्य स्तरीय स्पर्धा के खिलाड़ी थे……

* सीएम का काफिला निकलना था तो खाना खा रहे खिलाड़ियों को भूखे ही उठाया…..

 

देवली:-(बृजेश भारद्वाज)। विजयदशमी पर्व पर
सीएम काफ़िले का वीआईपी प्रोटोकॉल मासूम बच्चो की भूख पर भारी पड़ गया। हनुमाननगर कोटा रोड पर गुरुवार रात को मुख्यमंत्री के प्रोटोकॉल के चलते होटल पर खाना खा रहे स्कूली खिलाड़ियों को पुलिसकर्मियों ने उठाकर भेज दिया। इस बात का होटल संचालक दुर्गेश साहू ने विरोध किया तो पुलिसकर्मी ने उसे भी फटकार दिया। बच्चे नागौर में टूर्नामेंट खेलकर बस से बूंदी जा रहे थे। इस दौरान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी कोटा में दशहरा मेले में शामिल होकर वापस जयपुर लौट रहे थे। जानकारी के अनुसार बूंदी की प्राथमिक स्कूल के 35 विद्यार्थी नागौर से टूर्नामेंट खेल कर आ रहे थे। बच्चों की बस कोटा रोड पर स्थित एक होटल पर खाना खाने रोकी। इस दौरान हैड कांस्टेबल कालूराम व शंकरलाल गश्त पर आये और बस को हटाने के लिए कहने लगे। साथ ही होटल मालिक दुर्गेश नंदन से अभद्रता की। होटल मालिक दुर्गेश नंदन ने बताया कि हेड कांस्टेबल कालूराम ने बच्चों को उठाते हुए कहा कि वीआईपी महत्वपूर्ण है, बच्चे नहीं।

अब सवाल ये उठता है कि इस लोकतंत्र में आज वीआईपी सुरक्षा आमजनता से बढ़कर हो गई क्या?
जिस जनता ने इन नेताओं को चुनकर सिरमौर बनाया है तो क्या ऐसे हालातो से गुजरने के लिए।
भूखे बच्चो के मुंह से निवाले छीनने के लिए…..
या ये दर्शाने के लिए की जनता की औकात नेताओ के सामने कुछ भी नही? नेता की सुरक्षा व सहूलियत पहले है जनता जाए भाड़ में… फिर चुनाव आने पर हाथ जोडकर बेवकुफ बनाकर वोट ले लेंगे…..

बिस्किट के पैकेट लेकर जाना पड़ा..

बच्चों को आधा-अधूरा खाने से उठाने पर भूखे बच्चों को होटल से बिस्किट के पैकेट दिलाकर ले जाना पड़ा। होटल संचालक ने बताया कि बच्चे खाना खा ही रहे थे कि पुलिसकर्मी आ गए और बच्चों को बिना भोजन किए ही उठना पड़ा। ऐसे में उन्हें बिस्किट के पैकेट देकर बूंदी ले गए।

 

 

इनका कहना है…..

मैं अभी मुख्यमंत्री के प्रोटोकॉल में बिजी हूं। बाद में बात करता हूं।
-गणेश राम मीणा, थानाधिकारी हनुमान नगर…

 

 

 

 

 

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